कश्‍मीर मे सेना पर पत्‍थर फेंकनेवाले पत्‍थरबाजों को मुफ्‍ती सरकार की सहायता

                                                                     


 


" alt="" aria-hidden="true" />कश्‍मीर मे सेना पर पत्‍थर फेंकनेवाले पत्‍थरबाजों को मुफ्‍ती सरकार की सहायता !- मे.जन. जी.डी.बक्‍शी
छत्रपति शिवाजी महाराजजी केवल एक 'राजा' नहीं, अपितु 'सम्राट'थे ! - श्री. उदय माहुरकर
दिल्ली - छत्रपति शिवाजी महाराजजी के द्वारा किया गया शासन का विस्‍तार, प्रजा के लिए किया कार्य, युद्धकौशल्‍य, इतिहास में स्‍थान तथा उनके कार्य की आज भी समाज पर छाप देखें, तो यह निश्‍चित रूप से कहना होगा कि, वे केवल एक छत्रपति अर्थात् 'राजा' नहीं थे  । उनका परिचय 'सम्राट' के रूप मे होना चाहिए, ऐसा आवाहन इंडिया टुडे, दिल्ली, के उप-संपादक श्री. उदय माहुरकरजी ने अपने सम्‍बोधन में किया । उत्तर भारत हिन्‍दू राष्ट्र अधिवेशन के द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में सम्‍बोधन करते हुए उन्‍होंने बताया कि, छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्‍वराज्‍य की स्‍थापना की शपथ ली, वहां से उनके स्‍वर्गवास के समय उनके राज्‍य की लम्‍बाई १५०० किलोमीटर तक बढ गयी, इतना राज्‍यविस्‍तार उनके द्वारा किया गया । छत्रपति शिवाजी महाराज के स्‍वराज्‍य को समाप्त करने दिल्ली से निकला औरंगजेब बादशाह २३ वर्ष तक महाराष्ट्र में जूझता रहा, इतनाही नहीं वही पर दफ़न हो गया। 1670 में एक फ्रेंच यात्री ने अपने लेख में बताया है कि अपनी उपलब्‍धि, युद्ध कौशल्‍य और प्रजा कुशलता के कारण शिवाजी का वही स्‍थान है, जो युरोप के महान शासक गुस्‍तावस अडोल्‍फोस का है। इस कारण हमे ही अपने वीरपुरुषों की महानता विश्‍व को बताने की आवश्‍यकता है ।
हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्‍ता रमेश शिंदेजी ने हिंदू राष्ट्र की संकल्‍पना के संदर्भ मे कहा कि, अयोध्‍या में प्रभु श्रीरामजी का मंदिर बनना केवल अस्‍मिता का प्रतीक नहीं, अपितु हमारी राष्ट्रभावना का भी प्रतीक है । आज स्‍वा. सावरकर जी पर १९२३ मे द्वीराष्ट्रवाद के विचारधारा को बढाने का आरोप किया जाता है; परंतु वास्‍तविकता मे उनसे अनेक वर्षपूर्व अलीगढ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय की स्‍थापना करनेवाले सर सय्‍यद अहमद खान ने १८८८ में ही भारत मे दो राष्ट्र होने की बात कही थी ।  और आज भी हम जब हिंदू राष्ट्र का विचार रखते हैं, तो हमे देश तोडनेवालों की दृष्टिसे देखा जाता है; परंतु वास्‍तविकता मे JNU तथा अलीगढ मुस्‍लिम विश्‍वविद्यालय में 'भारत तेरे टुकड़े होंगे'इस प्रकार के तथा भारतविरोधी नारे लग रहे है । हिन्‍दू धर्म एकमात्र विश्‍वकल्‍याण और विश्‍वबंधुत्‍व का विचार करनेवाला धर्म है, तो भारत को हिन्‍दूराष्ट्र घोषित करने में आपत्ति क्‍या है ?
मेजर जनरल गगन दीप बक्षीजी ने भारत के सुरक्षा के संदर्भ मे वक्‍तव्‍य रखते हुए कहा, कश्‍मीर मे भारतीय सेना पर पत्‍थर फेंकनेवाले पत्‍थरबाजों को वहां की सरकार की सहायता थी । आज की सरकारने वहां पर्याप्‍त सेना भेजनेपर सब पत्‍थरबाज गायब हो गये ! हिंदुआें को आगामी काल मे सुरक्षित रहना है, तो 'अहिंसा परमो धर्म:' की मानसिकता बदलकर अन्‍याय के विरोध मे लडने की मानसिकता निर्माण करनी होगी । इसलिए हमे अपने गौरवशाली तथा शौर्य के इतिहास का स्‍मरण करना होगा । युवाआें को स्‍वसंरक्षण प्रशिक्षण लेना आवश्‍यक है । इसके द्वारा ही राष्ट्र आत्‍मनिर्भर और सशक्‍त होगा. अधिवेशन मे 'देश के वर्तमान मुद्दे एवं पत्रकारिता' तथा 'हिंदु चार्टर' इन विषयों पर परिसंवाद भी हुए ।